नई दिल्ली:इस कलयुग में सुप्रीम कोर्ट भी विवश हैं।
संविधान के जन्म दाता भीमराव अम्बेडकर जी ने सोच समझकर संविधान बनाए थे। जिससे भारत देश के आम नागरिकों को किसी भी तरह की असुविधा होने पर संविधान के नियमों का सहारा ले सके । किन्तु संविधान के नियमों के अनुसार काम करने से सबसे ज्यादा जनता को दुःख झेलना पड़ रहा है। हमारे देश ज्यादा अपराधी सांसद हैं । जिनके ऊपर अनेक केश दर्ज हैं। उनको पार्टी से टिकट मिल जाता है। सांसद की कुर्सी मिलते सारी सुविधाएं स्वत उपलब्ध हो जाती है। पांच वर्षों में 10 से 20 करोड़ रुपए जनता का अपने अपने पाकेट में रख कर पुनः प्रयास करते हैं कि फिर सांसद की कुर्सी मिले। भारत देश में कर्मचारी 40 वर्ष लगातार किसी भी पद पर काम करने के बाबजूद सांसद के तरह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है। ये है हमारा भारत देश सही गलत का कोई पहचान नहीं है।
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